भारत में सावर्जनिक वितरण प्रणाली ( PUBLIC DISTRIBUTION SYSTEM IN INDIA ): UPSC

सार्वजनिक वितरण प्रणाली , खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग की प्रमुख निति है ,जो खाद्यान वस्तुओ को सस्ती कीमत पर वितरित करने और आपतकालीन जैसी स्थितियों के प्रबंधन के लिए एक प्रणाली के रूप में विकसित हुई है | इसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित है :

  • खाद्य वस्तुओ की कार्यकुशल खरीद के माध्यम से खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना है |
  • किसानो को उनके उत्पादों के लिए समर्थन मूल्य देना |
  • खुले बाजार की वस्तुओ पर अप्रत्यक्ष नियंत्रण स्थापित करना |
  • खद्यान स्टॉक को बनाये रखना |

PDS का विकास : PDS की शुरुवात द्वितीय विश्व्युद्ध के दौरान 1940 के दशक में बंगाल में पड़े आकाल के बाद राशन व्यवस्था के रूप में हुई थी जोकि आगे चलकर PDS के रूप में बदल दिया गया | हालाँकि ,PDS शहरी कमी वाले क्षेत्रों में खाद्यान वितरण पे जोर देने के साथ ,1960 के दशक की खाद्य कमी से उतपन्न हुआ | बाद में सरकार ने PDS के लिए खाद्यान किघरेलु खरीद और भंडारण के लिए कृषि मूल्य आयोग और FCI की स्थापना की |

  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली का संचालन केंद्र और राज्य सरकारों की संयुक्त जिम्मेदारी है |
  • भारत सरकार -भारतीय खाद्य निगम ( FCI ) के माध्यम से अनाज की प्राप्ति , भंडारण ,परिवहन तथा राज्य सरकारों को थोक आवंटन करती है |
  • राज्य सरकार -योग्य परिवारों की पहचान , राशन कार्ड जारी करना ,वितरण करना तथा उचित मूल्यों की दुकानों के कार्यकरण की निगरानी करती है

संशोधित सावर्जनिक वितरण प्रणाली ( REVAMPED PUBLIC DISTRIBUTION SYSTEM

संशोधित सार्वजनिक वितरण प्रणाली को जून 1992 में शुरू किया गया | इसका उद्देश्य PDS को मजबूत तथा सुव्यवस्थित करने के साथ -साथ दूरस्थ ,पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों के गरीब परिवारों के जीवन में सुधार करना था |

लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली ( TARGETED PUBLIC DISTRIBUTION SYSTEM ) :

TPDS एक महत्वपूर्ण नीतिगत साधन है जिसका उद्देश्य गरीबी रेखा से निचे रहने वाली आबादी को सस्ती कीमतों पर खाद्यान की न्यूनतम आवश्यकताओ को पूरा करके गरीबी कम करना है |

सार्वजनिक योजना से संबंधित योजनाये :

PDS सुधारो के द्वारा , खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने TPDS के संचालन के लिए “एंड टू एंड कम्पूटरीकरण ” योजना की शुरुवात की | ताकि खाद्यान वितरण प्रणाली में दक्षता व पारदर्शिता लाई जा सके तथा अनाज के रिसाव ,विचलन ,नकली तथा जाली राशन कार्ड की समस्यों को दूर किया जा सके | इस योजना के अन्य परिणाम निम्न है |

  • लाभार्थी डेटाबेस डिजिटलाइज़ेशन
  • ऑनलाइन खाद्यान आवंटन
  • ऑनलाइन शिकायत पंजीकरण और टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर
  • बायोमेट्रिक के माध्यम से वास्तविक लाभार्थी की विशिष्ठ पहचान
  • डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर ( DBT )

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