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SCIENCE & TECHNOLOGY

लाई -फाई ( LIGHT-FIDELITY ) क्या है ? ( WHAT IS LI-FI )UPSC

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लाई -फाई या ( LIGHT -FIDELITY )तकनीक वायरलेस कम्युनिकेशन की एक शाखा है ,जो रेडियो तरंगो की बजाय दृश्य प्रकाश के माध्यम से आंकड़ों का आदान-प्रदान करती है | यह वाई -फाई की तुलना में कई गुना अधिक बैंडविड्थ, क्षमता , उपलब्धता , सुरक्षा एवं डेटा ट्रांसफर की गति से युक्त है | इसमें वाई -फाई मोडेम के स्थान पर ट्रान्सीवर युक्त LED बल्बों का प्रयोग किया जाता है | जो प्रकाश फैलाने के साथ डेटा ट्रांसफर भी करते है |

लाई -फाई कैसे काम करता है ? ( HOW DOES WORK LI -FI ? )

LI -FI तकनीक में LED युक्त बल्बों का प्रयोग किया जाता है , जिसमे माइक्रोचिप लगे होते है | ये अत्यंत तीव्र गति से ऑन और ऑफ होते है तथा यह बाइनरी लैंग्वेज में बदल जाते है |

LED लैंप का एक सिरा इंटरनेट सुरवर से जोड़ा होता है और दूसरा पावर स्विच से | प्रकाश को ग्रहण करने तथा उसे प्रोसेस करने के लिए एक फोटो डिटेक्टर कंप्यूटर से जुड़ा होता है पावर स्विच के ऑन होते ही इंटरनेट सर्वर से डिजिटल आंकड़े लैंप तक पहुंचते है,जिसे लैंप में लगा माइक्रोचिप प्रकाश में बदल देता है ,कंप्यूटर में लगा फोटो डिटेक्टर इस प्रकाश को पुनः डिजिटल आंकड़ों में बदल देता है |

LI -FI के फायदे :

  • एक बल्ब का दोहरा लाभ हमे रोशनी के साथ -साथ इंटरनेट की सुविधा भी देता है |
  • LI -FI पानी के अंदर भी काम कर सकता है | यह WI -FI के डेटा घनत्व का लगभग 1000 गुना प्राप्त कर सकता है क्योकि इसका प्रकाश एक सीमित क्षेत्र में फैलता है |
  • डेटा ट्रांसमिशन के लिए बहुत कम बिजली की आवश्यकता होती है |
  • कई ऐसे क्षेत्र है जहाँ सुरक्षा , स्वास्थ्य या अन्य कारणों से WI -FI का प्रयोग नहीं किया जा सकता है |
  • यह पर्यवरण के लिए भी सुरक्षित है |
  • पेट्रोलकेमिकाल प्लांट्स में रेडियो तरंगो का प्रयोग नहीं किया जा सकता है | वहाँ LI -FI का इस्तेमाल किया जा सकता है |
  • नौसेना द्वारा समुन्द्र में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है|

LI -FI की सीमाएं :

  • LI -FI दृश्य प्रकाश पर आधरित तकनीक है इसका दृश्य प्रकाश वस्तुओ को भेद कर पार नहीं हो सकता है |
  • अन्य प्रकाशो के कारण इसमें विचलन पैदा होता है , जैसे सूर्य की किरणे ,साधारण बल्ब आदि |

निष्कर्ष :

LI -FI लोगो को बेहतर इंटरनेट और ब्राउज़िंग की सुविधा उपलब्ध करायेगा | यह कम खर्चीला साधन है | वैज्ञानिको द्वारा इस तकनीक की कमियों को जल्द ही बेहतर कर लिया जायगा जिससे सावर्जनिक स्थलों , जैसे रेलवे स्टेशन , हॉस्पिटल आदि में पूछ सुनिश्चित की जा सकेगी |

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DIGITAL INDIA SIGNIFICANCE AND CHALLENGES (UPSC ) :

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डिजिटल इंडिया ग्रामीण क्षेत्रों में हाई स्पीड इंटरनेट नेटवर्क प्रदान करने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू की गई पहल है | डिजिटल इंडिया मिशन को 1 जुलाई 2015 को मेक इन इंडिया ,स्टार्ट अप इंडिया , भारतनेट और स्टैंड अप इंडिया सहित अन्य सरकारी योजनाओ के लाभार्थी के रूप में लॉन्च किया गया था |

डिजिटल इंडिया मिशन मुख्य रूप से तीन क्षेत्रों पर केंद्रित है |

  • प्रत्येक नागरिको को उपयोगिता के स्रोत के रूप में डिजिटल बुनयादी ढाँचा प्रदान करना |
  • माँग पर शासन और सेवाये |
  • प्रत्येक नागरिक के डिजिटल सशक्तिकरण का ध्यान रखना |

डिजिटल इंडिया के नौ स्तंभ है |

  1. ब्रॉडबैंड राजमार्ग |
  2. मोबाइल कनेक्टिविटी तक सार्वभौमिक पहुँच |
  3. सार्वजानिक इंटरनेट एक्सेस कार्यक्रम
  4. ई -गवर्नेंस |
  5. ई -क्रांति |
  6. सभी के लिए सुचना |
  7. इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण |
  8. नौकरियों के लिए आईटी |
  9. अर्ली हार्वेस्ट प्रोग्राम |

डिजिटल इंडिया का महत्व :

  • इसके माध्यम से सरकारी कार्यो में पारदर्शिता आई है , जिससे भरष्टाचार कम करने में मदद मिली है |
  • बिचौलियों के नेटवर्क को खत्म किया है |
  • डिजिटल इंडिया ने सरकार को कोविड महामारी से निपटने में मदद की है |
  • जन धन , मोबाइल और आधार या JAM ने गरीब व् मध्यम वर्ग को सबसे अधिक लाभ पहुँचाया है |

डिजिटल सार्वजानिक अवसंरचना के लिए डेटा संरक्ष्ण पहल :

  1. आधार अधिनियम 2016 : यह अधिनियम व्यक्तिगत डेटा के संग्रहण ,भंडारण व उपयोग के लिए प्रावधान करता है | यह भारतीय विशिष्ठ प्राधिकरण को आधार कार्यक्रम के प्रबंधन के लिए उत्तरदायी केंद्रीय प्राधिकरण के रूप में स्थापित करता है |
  2. व्यक्तिगत डेटा संरक्ष्ण विधेयक ,2019 : इसका उद्देश्य व्यक्तिगत डेटा की गोपनीयता की रक्षा करना और इसके प्रसंस्करण एवं हस्तांतरण के लिए एड रुपरेखा तैयार करना है |
  3. राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा निति , 2013 : यह महत्वपूर्ण सूचना की सुरक्षा और साइबर हमलो की रोकथाम के लिए एक रुपरेखा तैयार करता है |
  4. साइबर स्वछता केंद्र : यह सरकार द्वारा निशुल्क टूल्स और सुरक्षा समाधान प्रदान करने के माध्यम से डिजिटल उपकरणों और नेटवर्क को सुरक्षित करने के लिए शुरू की गई परियोजना है |

डिजिटल इंडिया की पहल :

  • डीजी लाकर्स : इसका उद्देश्य नागरिको के डिजिटल दस्तावे जवॉलेट में प्रमाणिक डिजिटल दस्तावेजो तक पहुंच प्रदान करके नागरिको को डिजिटल सशक्तिकरण करना है |
  • ई -पाठशाला : NCERT द्वारा विकसित , ई -पाठशाला वेबसाइट और मोबाइल अप्प के माध्यम से पाठ्यपुस्तक , ऑडियो ,विडिओ , पत्रिकाओं और कई अन्य सामग्री सहित सभी शैक्षिक ई -संसाधनों को प्रदर्शित और प्रसारित करती है |
  • भीम : भारत इंटरफ़ेस फॉर मणि एक ऐप है जो यूनिफाइड पेमेंट इंटरफ़ेस का उपयोग करके भुगतान लेन -देन को सरल , आसान और त्वरित बनाता है |
  • भारतनेट : भारतनेट कार्यक्रम का उद्देश्य भारत के सभी गाँव को हाई -स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी से जोड़ना है ताकि डिजिटल डिवाइड को दूर किया जा सके |
  • डीजी यात्रा : इसके तहत यात्री अपने आधार या पासपोर्ट का उपयोग करके स्वंय को पूर्व पंजीकृत कर सकते है और चेक इन एवं सिक्योरिटी पॉइंट्स पर सेल्फ बैग ड्राप , ई -लॉन्ड्रिंग पास बायोमेट्रिक सत्यापन और स्व -पहचान वासी कई डिजिटल सेवाओं का लाभ उठा सकते है |

चुनौतियाँ :

  • साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ की भारी कमी |
  • इंटरनेट ,वाई -फाई की धीमी स्पीड |
  • एक मजबूत डिजिटल सार्वजानिक अवसंरचना के निर्माण एवं रख रखाव के लिए निवेश की कमी |
  • नागरिको के डेटा की गोपनीयता एवं सुरक्षा संबंधी आधारभूत ,अवसंरचना की जरुरत है |
  • डिजिटल सार्वजानिक अवसंरचना ,डिजिटल डिवाइड के दायरे को बढ़ा सकती है | जिसके कारण जिनके पास डिजिटल तकनीक तक पहुँच नहीं है , वे प्रदत सेवाओं से लाभान्वित नहीं हो पाएंगे |
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क्रिप्टोकररेन्सी क्या है ? ( what is cryptocurrency )

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क्रिप्टोकररेन्सी एक ऐसी डिजिटल करेंसी है जो कंप्यूटर अल्गोरिथम पर काम करती है| यह एक स्वतंत्र करेंसी है | जिस पर किसी बैंक, संस्था आदि का कोई नियंत्रण नहीं होता है|

क्रिप्टोकररेन्सी कैसे काम करती है ? ( HOW DOES WORK CRYPTOCURRENCY ? )

क्रिप्टो का मुख्य कार्य ब्लॉकचैन के माध्यम से एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में पैसे ट्रांसफर करना होता है | ब्लॉकचैन एक बैंक की तरह किये गए लेन-देन का पूरा रिकॉर्ड रखती है | इस टेक्नोलॉजी को कुछ लोगो द्वारा सुपर कंप्यूटर के माध्यम से निगरानी की जाती हैं , यह प्रक्रिया क्रिप्टो की माइनिंग प्रोसेस कहलाती है | जिनके द्वारा यह कार्य किया जाता है उन्हें माइनर्स कहा जाता है |

कुछ प्रसिद्ध क्रिप्टोकररेन्सी के उद्धहरण निम्मनलिखत है :

  • बिटकॉइन ( BITCOIN ) : बिटकॉइन की स्थापना 2009 में हुई थी यह पहली क्रिप्टोकोर्रेंसी थी |
  • एथेरियम ( ETHEREUM ): 2015 में, एथेरेयम एक ब्लॉकचैन प्लेटफॉर्म है जिसकी अपनी क्रिप्टोकररेन्सी है , जिसे ईथर या एथेरियम कहा जाता है |
  • लिटेकोईन ( LITECOIN ): यह बिटकॉइन के सामान है |
  • रिप्पल ( RIPPLE ): यह डिस्ट्रीब्यूटर लेज़र सिस्टम है जिसका उपयोग लेन -देन को ट्रैक करने में किया जाता है |

समस्याएं / चुनौतियां :

  • क्रिप्टो बाजार लॉन्डरिंग और टेरर वित्तीय लेन -देन को आसान बनता है |
  • क्रिप्टोकररेन्सी वॉलेट की गोपनीय जानकारी खो जाने पर या हैक हो जाने पर इसे प्राप्त करना संभव नहीं है |
  • यह पोंजी स्कीम को बढ़ावा दे सकती है |
  • बड़ी मात्रा में सुपर कंप्यूटरो का उपयोग किया जाना, जिससे विशाल मात्रा में ऊर्जा की खपत होती है | जिसके कारण कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि होती और पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है |
  • इस विधि के द्वारा, संभावित अवैध दस्तावेजों, गोपनीयता, कॉपीराइट उलंघनो, मैलवेयर हमलो आधी के मुद्दों को जन्म देता है |
  • इसमें किसी तरह की कोई गारंटी नहीं मिलती है |

निष्कर्ष : क्रिप्टोकररेन्सी पर सर्कार प्रतिबंध लगाने की जगह सख्त मानदंडों, रिपोर्टिंग और कर शामिल करकें क्रप्टो बाजार को विनियमित किया जा सकता है| क्रिप्टोकररेन्सी को राष्ट्रिय कानूनों के तहत प्रतिभूतियों या अन्य वित्य साधनो के रूप में परिभाषित किया जाना चाहिये|

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