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ECONOMY

समावेशी विकास | INCLUSIVE GROWTH (UPSC ) :

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समावेशी विकास क्या है ?

समावेशी विकास से अभिप्राय देश में रहने वाले प्रत्येक वर्ग महिला ,दिव्याँग ,ट्रांसजेंडर ,उद्योग आदि के आर्थिक विकास से है | यह रोजगार सृजन के अवसर , गरीबी को कम करने , तथा समान अवसर सुनिश्चित करने के साथ -साथ शिक्षा और कौशल विकास के माध्यम से लोगो को सशक्त बनाने पर जोर देता है |

वर्ल्ड बैंक के अनुसार ,”समावेशी विकास, विकास की गति और स्वरूप दोनों को संदर्भित करता है ,जोकि आपस में जुड़े हुए है और इन्हे एक साथ संदर्भित किया जाना चाहिये |

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के अनुसार , “समावेशी विकास , वह प्रक्रिया और परिणाम है , जहाँ समाज के सभी वर्गो ने विकास संग़ठन में भाग लिया है और समान रूप से लाभान्वित हुए है |

संवैधानिक प्रावधान :

अनुछेद -38 : लोगो के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए राज्य सामाजिक व्यवस्था को सुनिश्चित करेगा ,ताकि सामाजिक ,आर्थिक और राजनैतिक न्याय सुनिश्चित हो सके |

समावेशी विकास की विशेषताएँ :

  • समाज के सभी वर्गों की भागेदारी
  • गरीबी को कम करने की क्षमता
  • बिना किसी भेदभाव के सभी को लाभान्वित करना
  • अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्र शामिल -उद्योग

समावेशी विकास के तत्त्व :

  • कौशल विकास
  • वित्तीय समावेशन
  • तकनीकी उन्नति
  • आर्थिक विकास
  • सामाजिक विकास

समावेशी विकास के घटक :

  • आय का समान वितरण
  • रोजगार का सृजन
  • गरीबी को कम करना
  • क्षेत्रीय विषमताओं में कमी
  • औद्योगिक विकास
  • कृषि विकास
  • सामाजिक क्षेत्र का विकास
  • पर्यावरण संरक्ष्ण

समावेशी विकास की चुनौतियाँ :

  • बेरोजगारी
  • गरीबी
  • कृषि का पिछड़ापन
  • क्षेत्रीय असमानताए
  • सामाजिक असमानता और भेदभाव
  • अपर्याप्त बुनयादी ढांचा

समावेशी विकास के लिए सरकार द्वारा की गई पहल :

  • वित्तीय समावेशन : प्रधान मंत्री जन धन योजना , प्रधान मंत्री जीवन जोय्ति बिमा योजना , अटल पेंशन योजना , मुद्रा योजना
  • रोजगार : MGNREGA ,SET -UP, स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना
  • कौशल विकास : राष्ट्रिय कौशल विकास मिशन , प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना ,
  • तकनीक : डिजिटल इंडिया प्रोग्राम
  • कृषि : प्रधान मंत्री कृषि सिचाई योजना , राष्ट्रीय कृषि बाजार

समावेशी विकास के मापन :

  • समावेशी विकास सूचकाँक
  • सामाजिक प्रगति सूचकाँक
  • वैश्विक दासता सूचकाँक

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ECONOMY

भारतीय कृषि | INDIAN AGRICULTURE IN HINDI ( UPSC ) :

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कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है | 70 % भारतीय ग्रामीण कृषि पर निर्भर करते है कृषि भारतीय अर्थवयवस्था में जीडीपी का 17 % योगदान देती है तथा 58 % जनसँख्या को रोजगार उपलब्ध कराती है | पिछले 15 वर्षो में भारतीय कृषि उत्पादन में 87 USDbn से 453USDbn की वृद्धि हुई है |

भारत में फसलों का मौसम तथा पैटर्न | CROPPING SEASON AND PATTERN IN INDIA :

भारत में मुख्यतः तीन प्रकार की फसल होती है :

  • खरीफ फसल : खरीफ ऋतू की फसल वर्षा पर आधारित होती है | इन फसलों की अच्छी पैदावार के लिए अधिक तापमान और आद्रता की आवश्यकता होती है | इन फसलों की बुवाई का समय जून से जुलाई तथा कटाई का समय सितम्बर से अक्टूबर है | इन में खरीफ की प्रमुख फसले – धान, मक्का , मूंगफाली , सोयाबीन ,ज्वार आदि है |
  • रबी फसल : यह शीत ऋतू की फसल है , इनकी बुवाई का समय अक्टूबर से दिसम्बर तथा कटाई का समय फरवरी होता है | रबी की मुख्य फसले -धान, मक्का , मूंगफली , सोयाबीन ,बाजरा , ज्वार आदि
  • जायद की फसले : जायद फसलों की बुआई फरवरी से मार्च महीने में की जाती है | व इसकी कटाई अप्रैल महा में की जाती है | इनमे सूखा सहन करने की क्षमता होती है जायद की मुख्य फसले -तरबूज , खारबूजा , लौकी , ककड़ी आदि है |

भारतीय कृषि की चुनौतियाँ | CHALLNGES OF INDIAN AGRICULTURE :

  • भूजल की कमी : अधिकाँश क्षेत्रों में सिंचाई भूजल से की जाती है | वर्तमान में भारत में भूजल की स्थिति चिंताजनक है |
  • वैशविक जलवायु परिवर्तन : जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में वृद्धि होगी , जिससे समुन्द्र के जलस्तर में वृद्धि होगी | जिसके कारण अधिक तीव्र चक्रवात , अप्रत्याशित वर्षा होगी | विशेष रूप से सर्दियों में तापमान में वृद्धि से उत्तर भारत में गेहूँ के उत्पादन पर असर पड़ेगा |
  • कृषि आदानों की उच्च लागत : कृषि आदानों में उर्वरक , कीटनाशक ,बीज कृषि श्रम लागत शामिल है |
  • मशीनीकरण का आभाव : अधिकाँश कृषि कार्य लकड़ी के हल , दरांती आदि जैसे सरल उपकरणो का उपयोग किया जाना |
  • मिट्टी का ह्रास : एक ही फसल को बार -बार उगाने से मिट्टी के पोषक तत्वों की हानि होती है |
  • जोत का उप -विभाजन और विखंडन : जनसंख्या में वृद्धि और संयुक्त परिवार प्रणाली टूटने के कारण , कृषि भूमि का लगातार छोटे -छोटे भूखंडो में विभाजन हो रहा है |

सरकार द्वारा की गई पहल तथा योजनाएँ | GOVERMENT INTIATIVES AND SCHEMES :

  • ई -नेशनल एग्रीकल्चर मार्किट (eNAM )
  • नेशनल मिशन फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर
  • प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई विकास योजना
  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
  • ग्रामीण भंडारण योजना
  • प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना
  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना
  • किसान क्रेडिट कार्ड योजना

समाधान | SOLUTION :

  • प्रति बूँद अधिक फसल रणनीति ( PER DROP MORE CROP ), इससे जल संरक्षण के साथ सिचांई लागत में भी कमी आयेगी |
  • उर्वरको की उतनी मात्रा का प्रयोग किया जाए जितनी मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार उचित हो | इससे मृदा की गुणवत्ता में सुधार के साथ जल प्रदूषण तथा उर्वरको लागत में कमी आएगी |
  • फसल बीमा के माध्यम से सूखे , अग्नि , चक्रवात , बाढ़ आदि से होने वाली हानि को कम किया जा सकता है |
  • विभिन्न योजनाओ के माध्यम से डेरी , मधुमखी पालन , मत्स्य पालन इत्यादि कृषि सहायक क्षेत्रों के विकास को बढ़ावा देकर |
  • कोल्ड स्टोरेज में वृद्धि करके उपज बर्बादी तथा खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सकता है |

निष्कर्ष :

देश की अधिकांश आबादी कृषि पर ही निर्भर है | अतः देश में गरीबी उन्मूलन , रोजगार में वृद्धि , तभी संभव है जब कृषि और किसानो की हालत में सुधर किया जाए |

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