परिचय : सूक्ष्म वित्त संस्थाएँ समाज के जरूरतमंद और कमजोर वर्गो को अपना कारोबार शुरू करने के लिए ,कम समय के लिए ऋण देकर उन्हें आत्म निर्भर बनाने वाले वित्य संस्थाए है |
MFI भारत में विभन्न कार्य करते है :
- संयुक्त देयता समहू
- ग्रामीण बैंक मॉडल
- स्वंय सहायता समहू
- ग्रामीण सहकारी समितियाँ
विकास में सूक्ष्म वित्त संस्थाओ की भूमिका ( THE ROLE OF MICRO FINANCE INSTITUTION IN DEVELOPMENT ) :
- महिला सशक्तिकरण : देश की गरीब वंचित महिलाओ को ऋण सेवाएं देकर इन संस्थाओ ने महिलाओ के लिए आर्थिक सशक्तिकरण एवं आर्थिक समावेशन का मार्ग प्रशस्त किया है |
- ग्रामीण विकास : ग्रामीण लोगो को ब्याज के दुष्चक्र से बचने के लिए MFI लीगल बॉण्ड न होने के बावजूद गरीब लोगो को ऋण उपलब्ध कृते है |
- गैर -वित्तपोषित लोगो को वित्तपोसण : ग्रामीण और शहरी गरीबो को उनकी जरुरत के अनुसार बेहतर सुविधाए देते है |
MFI से संबंधित विवाद :
- वाणिज्यक बैंको की तुलना में अधिक ब्याज दर |
- बैंकिंग क्षेत्र पर MFI की अधिक निर्भरता |
- वित्य सेवाओं के संबंध में लोगो में जागरूकता की कमी |
- कठोर नियामकीय नियमो ने इनके प्रदर्शन और सेवाओं के विकास में बाधा पैदा की है |
सुझाव :
- नवीन प्रद्यौगकी को अपनाने की जरूरत है |
- फंड की कमी को पूरा करने के लिए वैकल्पिक स्रोतों ( बाह्य इक्विटी निवेश , पोर्टफोलिओ खरीद , ऋणों का प्रतिभूतिकरण आदि ) की व्यवस्था करनी चाहिए |
- पृथक नियामकीय प्राधिकरणों की आवश्यकता है |
- राजनीतिक हस्तक्षेप न्यूनतम होना चाहिए |