वित्तीय समावेशन :
वित्तीय समावेशन का अर्थ सस्ती कीमत पर कमजोर वर्गों और निम्न आय वर्ग के लोगो के लिये जरूरत के समय पर पर्याप्त मात्रा में ऋण तथा वित्तीय सेवाओं की उपलब्ध्ता को सुनिश्चित करने की प्रिक्रिया है |
बैंको का राष्ट्रीयकरण , प्राथमिक क्षेत्र को ऋण उपलब्ध कराने की शर्तो ,स्वयं सहायता समहू आदि की शुरुवात भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अब तक बैंको तक पहुँच ना बना पाने वाले लोगो के लिए वित्य सहायता उपलब्ध कराने का प्रयास था |
2011 की जनगणना के अनुसार , देश में केवल 58.7 %परिवार ही बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठा रहे है | वर्तमान में भारत के 6 लाख गाँवो में से केवल 5% के पास बैंक शाखाएँ है जबकि राज्यों में 296 अंडर बैंकिंग जिले है जिनकी बैंकिंग सेवाएं निम्न स्तर की है |
वित्तीय समावेशन के तीन स्तंभ है |
- सक्षमता
- पहुँचता
- उपलब्धता
वित्तीय समावेशन के उद्देश्य ( OBJECTIVE OF FINANCIAL INCLUSION ) :
- बैंक खातों तक सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करना जोकि सभी वित्तीय सेवाओं का प्रवेश द्वार है |
- गरीबो को महाजनो एवं साहूकारों के चुँगल से बचाना |
- डिजिटल भुगतान सेवाओं तक पहुँच प्रदान करना |
- शहरी ,अर्द्ध शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों के गरीबो को बैंकिंग सेवाएं प्रदान करना |
- रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन योजनाओ को बैंको के माध्यम से गरीबो तक पहुँचाना |
- जो लोग बीमार , विकलांग ,गरीब ,वृद्ध और बेरोजगार है | सरकार द्वारा उन्हें बैंक के माध्यम से सहायता देकर , सामाजिक सुरक्षा को सुनिश्चित करना |
संवैधानिक प्रावधान :
- अनुच्छेद 41 : कुछ दशाओ में विशेषतः बुढ़ापे , बेरोजगारी , बीमारी ,अशक्ता आदि की दशा में काम ,शिक्षा और लोक सहायता पाने का अधिकार सुनिश्चित करने के लिये राज्य प्रभावी प्रावधान करेगा |
- अनुच्छेद 42 : कार्य की न्याय संगत और मानवीय दशाओ का तथा मातृत्व सुरक्षा हेतु सहायता का उपबंध |
वित्तीय समावेशन का महत्व ( SIGNIFICANCE OF FINANCIAL INCLUSION ) :
- डिजिटल तकनीक के उपयोग द्वारा वित्तीय लेन -देन की बेहतर निगरानी और विनियमन में आसानी होती है |
- सामाजिक सुरक्षा को उपलब्ध कराने में मदद मिलती है |
- गरीबी उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है |
- सरकार द्वारा सार्वजनिक सब्सिडी और कल्याण के रूप में दी जाने वाली राशि के रिसाव को रोकती है , सब्सिडी को सीधे लाभार्थी के खाते में ट्रांसफर करने पर
- आर्थिक संवृद्धि को बढ़ावा मिलता है |
- महिला सशक्तिकरण को मजबूती मिलती है |
- भ्र्ष्टाचार में कमी आती है |
वित्तीय समावेशन में सुधार के लिए सरकार द्वारा पहल :
- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक : ग्रामीण आबादी की बैंकिंग जरूरतों को पूरा करने के लिए क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की स्थापना की गई |
- प्राथमिकता क्षेत्र ऋण : कुछ विशिष्ट क्षेत्रों जैसे कृषि या लघु उद्योगों को बैंक ऋण का एक हिस्सा देने के लिए RBI ने प्राथमिकता सुनिश्चित की |
- नो -फ्रिल्स खाते : इन बैंक खातों न्यूनतम शेष राशि की आवश्यकता नहीं होती है |
- KYC में छूट : 2005 में छोटे खाते खोलने के लिए KYC में ढील दी गई थी |
- JAM ट्रिनिटी : यह डिजिटल तकनीक के उपयोग पर आधारित एक तीन भाग की रणनीति है , j ( जन -धन बैंकिंग ), A ( आधार -बायो मेट्रिक पहचान ), M ( मोबाइल -लेन देन ) |
- ग्रामीण और अर्ध -शहरी क्षेत्रों में वित्तीय सेवाओं का विस्तार : किसान क्रेडिट कार्ड , स्वयं सहायता समहू बैंको से जोड़े हुए ,ATM की संख्या बढ़ाना |
- डिजिटल प्रोत्साहन : यूनिफाइड पेमेंट इंटरफ़ेस ( UPI ) ,आधार -सक्षम भुगतान प्रणाली ( AEPS )-माइक्रो एटीएम के उपयोग को अनुमति , unstructured supplementary data (USSD ) -इंटरनेट कनेक्शन के बिना मोबाइल बैंकिंग |
- वित्तीय साक्षरता में सुधार : RBI द्वारा -वित्तीय साक्षरता परियोजना , पॉकेट मनी
वित्तीय समावेशन की चुनौतियाँ :
- बैंक खातों तक सार्वभौमिक पहुँच का ना होना
- डिजिटल डिवाइड
- अर्थव्यवस्था का अनौपचारिक और नकदी प्रधान होना
- लैंगिक असमानता