SOCIAL JUSTICE
भारत में स्वास्थ्य देख-रेख प्रणाली ( HEALTH CARE SYSTEM IN INDIA )
भारत में स्वास्थ्य देख-रेख प्रणाली का संचालन दो मंत्रालयों के द्वारा किया जाता है|
- स्वास्थ्य मंत्रालय
- रक्षा मंत्रालय
स्वास्थ्य मंत्रालय : स्वास्थ्य मंत्रालय केंद्र और राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली का संचालन करता है|
केंद्र स्वास्थ्य प्रणाली :
- EMPLOYEES STATE INSURANCE DISPENSARIES AND HOSPITAL
- THE CENTRAL GOVERNMENT HEALTH SCHEME
- NATIONAL HEALTH INSTITUETS / TERRITORY HOSPITALS
- AYURVEDA
- YOG AND NATURALPATHY
- UNANI
- HOMEOPATHY
राज्य स्वास्थ्य प्रणाली :
RURAL HEALTH CARE SYESTEM :
- COMMUNITY HEALTH CENTERS
- PRIMARY HEALTH CENTERS
- SUB -CENTERS
- ACCEDITED SOCIAL HEALTH ACTIVITES
URBAN HEALTH CARE SYSTEM :
- SUPERSPECIALTY / REFERRAL HOSPITAL
- SPECIAL DISEASE HOSPITAL
- DISTRICT HOSPITAL
- GOVERMENT MEDICAL COLLAGE
- TALUK HOSPITAL
PRIVATE HEALTH CARE SYSTEM :
FOR PROFIT :
- MULTISPECALITY HOSPITAL
- SPECIALTY
- NURSHING HOMES
- PRIVATE CLINIC
NON PROFIT :
- CHARITABLE TRUST DISPANSARIES & HOSPITALS ( RELIGIOUS / NON RELIGIOUS )
- NON GOVERNMENTAL ORGANIZATION RUN CLINIC & OUTREACH
MINISTRY OF DEFENCE :
- DISPENSARIES
- BASE HOSPITALS
- SPECIALITY HOSPITALS
- ARMY MEDICAL COLLEGES & HOSPITALS
भारत में एक कुशल और प्रभावी सावर्जनिक स्वास्थ्य प्रणाली की आवशयकता है| दुनियाँ में मातृ म्रत्यु दर का 11.9 % और शिशु मृत्यु दर का 18% भारत में होती है| 1000 में से 36 बच्चों की मृत्यु 5 वर्ष की आयु तक पहुँचते-पहुँचते हो जाती है| जबकि संचारी रोग भारत में होने वाली 53 % मौतों का कारण है|
स्वास्थ्य संकेतक क्या है ? ( WHAT IS HEALTH INDICATER? )
स्वास्थ्य का अर्थ पूर्ण शारीरिक, मानसिक, रोग मुक्त और सामाजिक कल्याण की स्थिति है| स्वस्थ लोग काम में अधिक प्रभावी होते है और शिशु व मातृ मृत्यु दर को काम करते है| एक स्वस्थ व्यक्ति और समाज के संकेतक है |
- नवजात मृत्यु दर
- शिशु मृत्यु दर बाल मृत्यु दर
- जीवन प्रत्यासा दर
- काल मृत्यु दर
- अपराध दर आर्थिक विकास दर
- बीमारियों की स्थिति और डाटा
संचारी रोग :
- प्रोटोजोआ से मलेरिया
- बैक्टीरिया से निमोनिया
- वायरस से जुखाम
- डेंगू और चिकनगुनिया
- स्वाइन फ्लू
- टी.बी
गैर -संचारी रोग :
- कैंसर
- ब्लड प्रेसर
- ह्रदय रोग
- ब्लड शुगर
स्वास्थ्य के संवैधानिक अधिकार :स्वास्थ्य के अधिकार की शुरुवात 1946 में WHO की स्थापना के साथ हुई |
- भारत संयुक्त राष्ट्र द्वारा सार्वभौमिक आधिकारो की घोषणा (1948 )के अनुछेद -25 का हस्ताक्षरकर्त्ता है जो भोजन,कपडे ,आवास, चिकत्सा देखभाल और अन्य सामाजिक सेवाओं के माध्यम से मनुष्यो को स्वस्थ्य देखभाल के लिए पर्याप्त जीवन स्तर का अधिकार देता है |
- मूल अधिकार का अनुछेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्राता, गरिमायुक्त जीवन का अधिकार देता है|
- DPSP का अनुछेद 38 , 39, 42 , 43 ,47 ने स्वाथ्य के अधिकार को प्रभावी बनाने के लिए राज्यों का मार्गदर्शन किया है |
चुनौतियां / समस्या :
- सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार कोई भी एक प्राधिकरण नहीं है जो क़ानूनी रूप से दिशानिर्देश जारी करने और स्वास्थ्य मानकों के अनुपालन को लागु करने के लिए अधिकृत हो|
- प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव है |
- बड़ी मात्रा में पर्याप्त फंडिंग की कमी है|
- लैंगिक असमानता के कारण स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुंच|
- स्वास्थ्य प्रबंधन कौशल और स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता की कमी का अधिक होना |
SOCIAL JUSTICE
TRANSGENDER AND LGBTQIA ISSUES AND CHALLENGES :
ट्रांसजेंडर व्यक्ति कौन है ? ( WHO IS TRANSGENDER PERSON )
ट्रांसजेंडर वह व्यक्ति होता है,जो अपने जन्म से निर्धारित लिंग के विपरीत लिंगी की तरह जीवन बीतता है | लैंगिक पहचान का संबंध प्रत्येक व्यक्ति के जेंडर के बारे में उसके द्वारा गहराई से महसूस किये जाने वाला आंतरिक और व्यक्तिगत अनुभव है , जो जन्म से निर्धारित लिंग के अनुरूप हो सकता है और नहीं भी हो सकता है | जब किसी व्यक्ति के जनांगो का विकास और मस्तिष्क का लैंगिक विकास उसके जन्म से निर्धारित लिंग के अनुसार नहीं होता है तो पुरुष यह महसूस करने लगता है की वह महिला है , जबकि महिला यह महसूस करने लगती है की वह पुरुष है |
अधिनियम के अनुसार , ट्रांसजेंडर वह व्यक्ति होता है , जिसका लिंग उससे उसके जन्म के समय नियत लिंग से मेल नहीं खाता है तथा इसके अंतर्गत उभय -पुरुष या उभय -स्त्री परिवर्तित ,अंतः लिंग (INTER SEX )भिन्नताओं वाले वाले व्यक्ति, लिंग समलैंगिक ( GENDER -QUEERS ) तथा किन्नर , हिजड़ा ,अरवणी ,एवं जोगता जैसी सामाजिक -सांस्कृति पहचान रखने वाले व्यक्ति शामिल है | वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार , भारत में ट्रांस्जेंडरों की जनसँख्या लगभग 4.9 लाख है
LGBTQIA+परिवर्णी शब्द वास्तव में क्या दर्शाता है ? ( WHAT EXACTLY DOES THE LGBTQIA+ ACRONYM STAND FOR ? ) :
कोई भी वाक्यांश आज दुनिया में मौजूद विभिन्न लिंगो और यौन पहचानो का पर्याप्त रूप से वर्णन नहीं कर सकता है | संक्षेप में LGBTQ+ मुख्य रूप से उन लोगो को सन्दर्भित करता है | जो
- लेस्बियन ( LESBIAN ) : समलैंगिक महिलाओ या महिलाओ में समलैंगिकता से संबंधित है |
- गे ( GAY ) : एक समलैंगिक व्यक्ति
- उभयलिंगी ( BISEXUAL ) : पुरषों और महिलाओ या एक से अधिक लिंग के प्रति यौन वयवहार से है |
- ट्रांसजेंडर ( TRANSGENDER ) : ट्रांसजेंडर लोगो की एक लिंग पहचान या लिंग अभिव्यक्ति होती है जो जन्म के समय उन्हें सौपे गए लिंग से अलग होती है |
- इंटरसेक्स ( INTERSEX ) : इसमें बाहरी जननांगो और आंतरिक जननांगो ( वृषण और अंडाशय ) के बीच एक विसंगति होती है |
- कवीर ( QUEER ) : QUEER उन लोगो के लिए व्यापक शब्द है जो ना तो विषमलैंगिक है ना ही सिस्जेंडर (किसजेण्डर) है |
- अलैंगिक ( ASEXUAL ) : अलैंगिक के अर्थ दुसरो के प्रति यौन आकर्षण में कमी या यौन गतिविधयों में कम रूचि से है |
कानूनी प्रावधान ( LEGAL PROVISION ) :
ट्रांसजेंडर व्यक्ति ( अधिकारों का संरक्षण ) अधिनियम ,2019 : अधिनियम में कहा गया है की एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति स्वंय की कथित लिंग पहचान करने का अधिकार होगा | पहचान का प्रमाण पत्र जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय में प्राप्त किया जा सकता है और लिंग परिवर्तन कराने पर एक संशोधित प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा |
- ट्रांसजेंडर व्यक्ति को अपने माता-पिता तथा परिवार के सदस्यों के साथ रहने का अधिकार होगा |
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के खिलाफ शिक्षा , रोजगार , और स्वास्थ्य देखभाल जैसी विभिन्न क्षेत्रों में भेदभाव को प्रतिबंधित करता है
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के खिलाफ अपराध के लिए जुर्माने के अलावा छ : महीने से दो साल कैद की सजा होगी
ट्रांसजेंडर की समस्याएँ / चुनोतियाँ ( TRANSGENDER ISSUES AND CHALLENGES ) :
- स्वास्थ्य : ट्रांसजेंडर समुदाय HIV /AIDS जैसी यौन संचारित रोगो के लिए अत्यधिक संवेदनशील है | UNADS की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में ट्रांस्जेंडरो के बीच HIV का प्रसार 3.1 %(2017 ) है |
- रोजगार : ये आर्थिक रूप से हाशिए पर है , ये लोग आजीविका के लिए भीख मांगने , वेश्यावृति और शोषक मनोरंजन जैसे उद्योगों का सहारा लेने के लिए मजबूर है |
- भेदभाव : लैंगिकता या लैंगिक पहचान अक्सर ट्रांसजेंडर लोगो के लिए समाज द्वारा कलंक और बहिष्कार का कारण बनती है |
- सार्वजनिक स्थानों : इन्हे जेंडर न्यूट्रल व अलग ट्रांसजेंडर शौचालयों की कमी के कारण शौच इस्तमाल की समस्या से गुजरना पड़ता है |
- बहिष्करण : समाज द्वारा ट्रांसजेंडर लोगो का बहिष्कार किया जाता है | यहां तक की इनका अपना परिवार इन्हे बदनामी से बचने के लिए घर से बहार कर देते है |
- लिंग आधारिता हिंसा : ट्रांसजेंडर अक्सर यौन शोषण और बलत्कार जैसी समस्याओ का शिकार बनते है |
ट्रांसजेंडर कल्याणकारी योजनाये ( WELFARE SCHEME FOR TRANSGENDER ) :
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए राष्ट्रिय परिषद : ट्रांसजेंडर व्यक्ति ( आधिकारो का संरक्षण ) अधिनियम के तहत सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए राष्ट्रिय परिषद का गठन किया |
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए राष्ठ्रीय पोर्टल : यह ट्रांसजेंडर को देश में कही से भी प्रमाण -पत्र और पहचान -पत्र के लिए डिजिटल रूप से आवेदन करने में मदद करेगा |
- गरिमा ग्रह : इसमें बेसहारा और जरूरत मंद ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए आश्रय ग्रह की स्थापना की जाती है |
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए भत्ता : प्रत्येक ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को उनकी बुनयादी आवश्यकताओ को पूरा करने के लिए 1500 रुपये का निर्वह भत्ता दिया जाता है |
- स्माइल (SMILE ) योजना : सरकार ने ” आजीविका और उद्यम “में उपेक्षित व्यक्तियों के लिए सपोर्ट फॉर मार्जिनलिज़्ड इंडीविसुअल फॉर लाइवलीहुड एंड एंटरप्राइज ( SMILE ) नमक योजना को मंजूरी दी है ,जिसमे ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए एक उपयोजना शामिल है | यह योजना ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के पुनर्वास, चिक्तसा सुविधओं , परामर्श , शिक्षा , कौशल विकास और आर्थिक संबंदो के प्रावधान पर केंद्रित है |
निष्कर्ष : उच्तम न्यायालय ने धारा 377 को गैर -अप्राधिकृत कर दिया है | अब अगला कदम समाज को LGBTQIA+ समुदाय के अनुकूल बनाना और उनके खिलाफ किसी भी प्रकार के भेदभाव या क्रूरता को रोकना होना चाहिए | समाज द्वारा इन समुदाय पर बनाई गई फिल्मो जैसे -एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा ,शुभ मंगल ज्यादा सावधान ,बधाई हो ,कपूर & सन्श को काफी पसंद किया गया ,फिर विभिन्न लिंगो वाले इस छोटे समुदाय के लोगो खिलाफ पूर्वाग्रह क्यों है| इस देश के लोगो के रूप में इस समुदाय के लोगो को सशक्त ,संरक्षित और प्यार महसूस करने के लिए सामूहिक प्रयास करे |
SOCIAL JUSTICE
दिव्यांग व्यक्तियो के अधिकार, चुनौतियां और समाधान ( PERSONS WITH DISABILITES : RIGHTS, CHALLENGES AND SOLUTION )
विकलांग व्यक्तियों के अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन परिभाषित करता है “विकलांग व्यक्तियों में वे लोग शामिल है जिन्हे लम्बे समय से शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक या संवेदी विकार है | जोकि दूसरो के साथ एक सामान आधार पर, समाज में उनकी पूर्ण और प्रभावी भागीदारी में बाधा बन सकते है|
दिव्यांग व्यक्ति कौन है ? ( WHO ARE THE PERSON WITH DISABILITES ) :
विकलांग व्यक्तियों के अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन परिभाषित करता है की “विकलांग व्यक्तियों में वे लोग शामिल है जिन्हे लम्बे समय से शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक या संवेदी विकार है | जोकि दूसरो के साथ एक सामान आधार पर, समाज में उनकी पूर्ण और प्रभावी भागीदारी में बाधा बन सकते है| ” भारत में दिव्यांग व्यक्तियों को उपेक्षा, वंचना तथा अलगाव जैसी असंख्य चुनौतियों का सामना करना पड़ता है| जो उन्हें पूर्ण रूप से नागरिक, राजनैतिक, आर्थिक,सांस्कृतिक और विकासात्मक आधिकारो का उपयोग करने से रोकती है|
दिव्यांग व्यक्ति भारत के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समहू में से एक है| 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की 121 करोड़ की कुल जनसँख्या में से लगभग 2.68 करोड़ व्यक्ति विकलांग है| (कुल जनसँख्या का 2.21 %)
- 2.68 करोड़ में से 1.5 करोड़ पुरुष और 1.18 करोड़ महिलाएं है|
- विकलांग आबादी का अधिकांश 69 % ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है |
- 7.62 % विकलांग व्यक्ति 0 -6 वर्ष की आयु वर्ग के है
उप -राष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने कहा की “सामान अवसर सुनिश्चित करता है किविक्लांग व्यक्ति एक सम्मानित, सुरक्षित और बेहतर जीवन जी सके” |
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा की “हमारी सरकार का पूरा जोर समानता, पहुंच तथा अवसर पर है “|
संवैधानिक प्रावधान :
- संविधान के भाग -4 में राज्य के निति निर्देशक तत्व के अनुछेद -41 में कहा गया है की कुछ दशाओ में विश्षेत: बुढ़ापे, बेरोजगारी, बीमारी, अशक्तता आदि की दशा में काम, शिक्षा और लोक सहायता पाने का अधिकार सुनिश्चित करने के लिये प्रभावी प्रावधान करेगा|
- संविधान की 7वी अनुसूची की राज्य सूचि में “विकलांग और बेरोजगारों को राहत “का विषय दिया है |
- प्रस्तावना में “प्रतिष्ठा और अवसर की समानता”के साथ सभी नागरिको के लिए सामाजिक,आर्थिक और राजनैतिक न्याय को सुरक्षित करने का प्रयाश करती है |
- संविधान के तहत गारंटीकृत सभी मौलिक अधिकारों के पीछे “व्यक्ति की गरिमा “की मौलिक धारणा है |
- अनुछेद -46 के अनुसार, राज्य कमजोर वर्गों के शैक्षिक और आर्थिक हितो की अभिवृद्धि व सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करेगा|
- विकलांग और मानसिक रूप से मंद लोगो का कल्याण 11 वी अनुसूची में विषयवस्तु -26 और बारहवीं अनुसूची में विषयवस्तु -09 के रूप में सूचीबद्ध है |
क़ानूनी प्रावधान :
- दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 : इस अधिनियम ने दिव्यांगता सूचि की संख्या को -07 से बढ़ाकर- 21 , सरकारी नौकरियों में आरक्षण 3 % से बढ़ाकर 4 % तथा उच्च शिक्षण संस्थानों में 3 % से बढ़ाकर 5% कर दिया है |
दिव्यांग व्यक्तियो के समावेशी विकास के लिए योजनाएं :
- सामाजिक सशक्तिकरण
- शारिरिक सशक्तिकरण
- शैक्षिक सशक्तिकरण
- आर्थिक सशक्तिकरण
सुगम्य भारत अभियान : इस अधिनियम का उद्देश्य सुगम्य भौतिक वातावरण, परिवहन, सूचना एवं संचार प्रौद्योगकी परिस्थकी तंत्र का विकास कर दिव्यांग व्यक्तियों के जीवन को बेहतर बनाना है |
दीनदयाल दिव्यांग पुनर्वास योजना : दिव्यांग व्यक्तियों के पुनर्वास से संबंदित परियोजनओं के लिए गैर -सरकारी संगठनो को वित्य सहायता दी जाती है|
दिव्यांग व्यक्ति अधिकार अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए योजना : इस योजना के तहत कौशल विकास और बाधा मुक्त वातावरण के निर्माण के लिए वित्तय सहायता प्रदान की जाती है |
दिव्यांग व्यक्तियों की सहायता योजना : इस योजना का उद्देश्य सहायक वस्तुओ व उपकरणों को खरीदने में मदद करता है ताकि उनके जीवन में दिव्यांगता के प्रभाव को कम किया जा सके|
इंद्रा गांधी दिव्यांग पेंशन योजना तथा राष्ट्रीय दिव्यांग पुरुस्कार योजना आदि |
TYPES OF DISABLITIES :
- PHYSICAL DISABILITES : LOCOMETER DISABILITES, LEPROSY CURED PERSON, CEREBRAL PLASY, DWARFISM, MUSCULAR DYSTROPHY, ACID ATTACK VICTTIMS
- VISUAL IMPARIMENT : BLINDNESS, LOW VISION
- HEARING IMPAIREMENT : DEAF, HARD OF HEARING
- SPEECH AND LANGUAGE DISABILITEY
- INTELLECTUAL DISABILITY : SPECIFIC LEARNING DISABILITY, AUTISM SPECTRUM DISORDER
- MENTAL ILLNESS : CHORNIC NEUROLOGICAL CONDITIONS, MULTIPLE SCLEROSIS, PARKISON DISEASE
- BLOOD DISORDER : HAEMOPHILIA, THALASSEMIA, SICKLE CELL DISEASE
SOCIAL JUSTICE
महिलाओ से संबंधित मुद्दे, चुनौतियां तथा कल्याणकारी योजनाये ( WOMEN RELATED ISSUES, CHALLENGES AND WELARE SCHEME )
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में लिंगानुपात 943 है, जबकि 2001 में यह 933 था| पिछले दशक की तुलना में 10 अंको का सुधार हुआ है| भारत की साक्षरता दर 72.99 % है, जिसमे महिला साक्षरता दर का हिस्सा 64.64% है| महिला शक्ति सम्पनीकरण जितनी चुनौतियां है, सम्भावनाये भी उतनी ही ज्यादा है क्योकि पिछले सौ वर्षो और वर्तमान की महिलओ की स्थिति की तुलना करे तो कुछ सकारात्मक मुलभुत बदलाव जरूर आए है| इसका मुख्य कारण संवैधानिक उपबंध तथा सरकार द्वारा समय-समय पर बनाये जजने वाले कानून तथा कल्याणकारी योजनाए है|
संवैधानिक उपबंध :
- अनुछेद -14 : पुरुष एवं स्त्री को सामान अधिकार |
- अनुछेद -15 (1 ) : धर्म, जाति, लिंग, इत्यादि के आधार पर भेदभाव का निषेध|
- अनुछेद -15 (3 ) : राज्य को महिलाओ के रक्षोपाय विशेष उपबंध करने की छूट है, जिसे समानता के अधिकार के आधार पर प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है|
- अनुछेद -16 : लोक नियोजन में अवसर की समानता|
- अनुछेद -23 : मानवो का दुर्व्यापार और बलात श्रम का निषेध |
- अनुछेद -39(D ) : सामान कार्य के लिए सामान वेतन|
- अनुछेद -42 : कार्य की न्यायपूर्ण एवं मानवीय दशा|
- अनुछेद -51 (A ) E : महिलाओ की गरिमा का हनन करने वाली प्रथाओं की समाप्ति|
- अनुछेद -300 (A ) : महिलाओ को सम्पति का अधिकार |
- 73वां एवं 74 वां संशोधन : स्थानीय स्वशासन में कम से कम एक तिहाई सीटों का आरक्षण|
महिलाओ के लिए कानूनी प्रावधान ( LEGAL PROVISION FOR WOMEN ) :
- महिलाओ का यौन उत्पीड़न ( निवारण, निषेध,एवं निदान ) अधिनियम, 2013 — कार्यस्थल पर यौन उत्पीडन के लिए, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने ऑनलाइन शिकायतों के लिए SHE BOX पोर्टल की शरुवात की|
- घरेलू हिंसा संरक्षण अधिनियम 2005 —महिलाओ के साथ बदसलूकी, प्रताड़ना, मानसिक शोषण को गैर-जमानती एवं क्रिमिनल ऑफेन्स मानता है|
- बाल यौन शोषण -POCSO ( THE PROTECTION OF CHILDERN FROM SEXUAL ACT ) 2012 |
- देहज प्रतिबंधित अधिनियम 1961 |
- मातृत्व लाभ अधिनियम 2017
- महिलाओ के अभद्र चित्रण पर प्रतिबंध अधिनियम 1986
- भारतीय दंड संहिता की धारा 375 ( बलात्कार ), 372 ( वैश्यावर्ती के लिए लड़कियों की बिक्री ), 373 ( वैश्यावर्ती के लिए लड़कियों की खरीद )|
महिलाओ के द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियां ( CHALLENGES FACE BY WOMEN ) :
- लिंग चयनात्मक गर्भपात
- शिशु हत्या के प्रयास
- पितृसत्तात्मक भेदभाव
- कुपोषण की शिकार
- शिक्षा से वंचित
- मासिक धर्म स्वछता
- बाल विवहा
- किशोर गर्भावस्था
- महिलाओ के लिए कम मजदूरी
- असुरक्षित कार्यस्थल
- ऑनर किलिंग
- दहेज हत्या
- वैवाहिक बलात्कार
- घरेलू हिंसा
- मातृ मृत्यु
- यौन उत्पीड़न / छेड़छाड़
- बुजुर्ग महिला की उपेक्षा
महिलाओ को शिक्षित करना क्यों जरुरी है|
- अगर बालिका शिक्षित है तो एक अच्छी शृंखला प्रतिक्रिया शरू करती है, व विवाह की उम्र में देरी होती है| जिसके कारण कम तथा स्वस्थ बच्चे पैदा होते है |
- शिक्षित महिला रोजगार के माध्यम से परिवार को गरीबी से बहार निकालने में मदद करती है|
- 1968 के कोठरी आयोग ने शिक्षा को सामाजिक विकास के रूप में अनुशंसित किया है |
- महिला समाज के वंचित वर्ग का हिस्सा है, शिक्षा समाज में लैंगिक अंतर को कम करने में मदद करेगी |
- शिक्षा से न केवल महिलाओ को आर्थिक लाभ होगा, बल्कि देश की जीडीपी भी बढ़ेगी |
- शिक्षा महिलाओ में जागरूकता पैदा करेगी,जिससे राजनीती में भागेदारी बढ़ेगी जो अंततः लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करेगी |
- समाज का समावेशी विकास होगा |
- शिक्षा, नारी मुक्ति और सशक्तिकरण का सशक्त माध्यम है |