ECONOMY
भारतीय कृषि | INDIAN AGRICULTURE IN HINDI ( UPSC ) :
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है | 70 % भारतीय ग्रामीण कृषि पर निर्भर करते है कृषि भारतीय अर्थवयवस्था में जीडीपी का 17 % योगदान देती है तथा 58 % जनसँख्या को रोजगार उपलब्ध कराती है | पिछले 15 वर्षो में भारतीय कृषि उत्पादन में 87 USDbn से 453USDbn की वृद्धि हुई है |
भारत में फसलों का मौसम तथा पैटर्न | CROPPING SEASON AND PATTERN IN INDIA :
भारत में मुख्यतः तीन प्रकार की फसल होती है :
- खरीफ फसल : खरीफ ऋतू की फसल वर्षा पर आधारित होती है | इन फसलों की अच्छी पैदावार के लिए अधिक तापमान और आद्रता की आवश्यकता होती है | इन फसलों की बुवाई का समय जून से जुलाई तथा कटाई का समय सितम्बर से अक्टूबर है | इन में खरीफ की प्रमुख फसले – धान, मक्का , मूंगफाली , सोयाबीन ,ज्वार आदि है |
- रबी फसल : यह शीत ऋतू की फसल है , इनकी बुवाई का समय अक्टूबर से दिसम्बर तथा कटाई का समय फरवरी होता है | रबी की मुख्य फसले -धान, मक्का , मूंगफली , सोयाबीन ,बाजरा , ज्वार आदि
- जायद की फसले : जायद फसलों की बुआई फरवरी से मार्च महीने में की जाती है | व इसकी कटाई अप्रैल महा में की जाती है | इनमे सूखा सहन करने की क्षमता होती है जायद की मुख्य फसले -तरबूज , खारबूजा , लौकी , ककड़ी आदि है |
भारतीय कृषि की चुनौतियाँ | CHALLNGES OF INDIAN AGRICULTURE :
- भूजल की कमी : अधिकाँश क्षेत्रों में सिंचाई भूजल से की जाती है | वर्तमान में भारत में भूजल की स्थिति चिंताजनक है |
- वैशविक जलवायु परिवर्तन : जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में वृद्धि होगी , जिससे समुन्द्र के जलस्तर में वृद्धि होगी | जिसके कारण अधिक तीव्र चक्रवात , अप्रत्याशित वर्षा होगी | विशेष रूप से सर्दियों में तापमान में वृद्धि से उत्तर भारत में गेहूँ के उत्पादन पर असर पड़ेगा |
- कृषि आदानों की उच्च लागत : कृषि आदानों में उर्वरक , कीटनाशक ,बीज कृषि श्रम लागत शामिल है |
- मशीनीकरण का आभाव : अधिकाँश कृषि कार्य लकड़ी के हल , दरांती आदि जैसे सरल उपकरणो का उपयोग किया जाना |
- मिट्टी का ह्रास : एक ही फसल को बार -बार उगाने से मिट्टी के पोषक तत्वों की हानि होती है |
- जोत का उप -विभाजन और विखंडन : जनसंख्या में वृद्धि और संयुक्त परिवार प्रणाली टूटने के कारण , कृषि भूमि का लगातार छोटे -छोटे भूखंडो में विभाजन हो रहा है |
सरकार द्वारा की गई पहल तथा योजनाएँ | GOVERMENT INTIATIVES AND SCHEMES :
- ई -नेशनल एग्रीकल्चर मार्किट (eNAM )
- नेशनल मिशन फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर
- प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई विकास योजना
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
- ग्रामीण भंडारण योजना
- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना
- किसान क्रेडिट कार्ड योजना
समाधान | SOLUTION :
- प्रति बूँद अधिक फसल रणनीति ( PER DROP MORE CROP ), इससे जल संरक्षण के साथ सिचांई लागत में भी कमी आयेगी |
- उर्वरको की उतनी मात्रा का प्रयोग किया जाए जितनी मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार उचित हो | इससे मृदा की गुणवत्ता में सुधार के साथ जल प्रदूषण तथा उर्वरको लागत में कमी आएगी |
- फसल बीमा के माध्यम से सूखे , अग्नि , चक्रवात , बाढ़ आदि से होने वाली हानि को कम किया जा सकता है |
- विभिन्न योजनाओ के माध्यम से डेरी , मधुमखी पालन , मत्स्य पालन इत्यादि कृषि सहायक क्षेत्रों के विकास को बढ़ावा देकर |
- कोल्ड स्टोरेज में वृद्धि करके उपज बर्बादी तथा खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सकता है |
निष्कर्ष :
देश की अधिकांश आबादी कृषि पर ही निर्भर है | अतः देश में गरीबी उन्मूलन , रोजगार में वृद्धि , तभी संभव है जब कृषि और किसानो की हालत में सुधर किया जाए |
ECONOMY
समावेशी विकास | INCLUSIVE GROWTH (UPSC ) :
समावेशी विकास क्या है ?
समावेशी विकास से अभिप्राय देश में रहने वाले प्रत्येक वर्ग महिला ,दिव्याँग ,ट्रांसजेंडर ,उद्योग आदि के आर्थिक विकास से है | यह रोजगार सृजन के अवसर , गरीबी को कम करने , तथा समान अवसर सुनिश्चित करने के साथ -साथ शिक्षा और कौशल विकास के माध्यम से लोगो को सशक्त बनाने पर जोर देता है |
वर्ल्ड बैंक के अनुसार ,”समावेशी विकास, विकास की गति और स्वरूप दोनों को संदर्भित करता है ,जोकि आपस में जुड़े हुए है और इन्हे एक साथ संदर्भित किया जाना चाहिये |
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के अनुसार , “समावेशी विकास , वह प्रक्रिया और परिणाम है , जहाँ समाज के सभी वर्गो ने विकास संग़ठन में भाग लिया है और समान रूप से लाभान्वित हुए है |
संवैधानिक प्रावधान :
अनुछेद -38 : लोगो के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए राज्य सामाजिक व्यवस्था को सुनिश्चित करेगा ,ताकि सामाजिक ,आर्थिक और राजनैतिक न्याय सुनिश्चित हो सके |
समावेशी विकास की विशेषताएँ :
- समाज के सभी वर्गों की भागेदारी
- गरीबी को कम करने की क्षमता
- बिना किसी भेदभाव के सभी को लाभान्वित करना
- अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्र शामिल -उद्योग
समावेशी विकास के तत्त्व :
- कौशल विकास
- वित्तीय समावेशन
- तकनीकी उन्नति
- आर्थिक विकास
- सामाजिक विकास
समावेशी विकास के घटक :
- आय का समान वितरण
- रोजगार का सृजन
- गरीबी को कम करना
- क्षेत्रीय विषमताओं में कमी
- औद्योगिक विकास
- कृषि विकास
- सामाजिक क्षेत्र का विकास
- पर्यावरण संरक्ष्ण
समावेशी विकास की चुनौतियाँ :
- बेरोजगारी
- गरीबी
- कृषि का पिछड़ापन
- क्षेत्रीय असमानताए
- सामाजिक असमानता और भेदभाव
- अपर्याप्त बुनयादी ढांचा
समावेशी विकास के लिए सरकार द्वारा की गई पहल :
- वित्तीय समावेशन : प्रधान मंत्री जन धन योजना , प्रधान मंत्री जीवन जोय्ति बिमा योजना , अटल पेंशन योजना , मुद्रा योजना
- रोजगार : MGNREGA ,SET -UP, स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना
- कौशल विकास : राष्ट्रिय कौशल विकास मिशन , प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना ,
- तकनीक : डिजिटल इंडिया प्रोग्राम
- कृषि : प्रधान मंत्री कृषि सिचाई योजना , राष्ट्रीय कृषि बाजार
समावेशी विकास के मापन :
- समावेशी विकास सूचकाँक
- सामाजिक प्रगति सूचकाँक
- वैश्विक दासता सूचकाँक