खाद्य प्रसंस्करण :
खाद्य प्रसंस्करण से आशय यह है की जब खाद्य एवं पेय उद्योग द्वारा प्राथमिक कृषि उत्पादों , पौधो एवं पशुओ से जुडी सामग्रियों , जैसे अनाज, दूध , माँस आदि को विभन्न भौतिक और रासायनिक प्रिक्रियाओ के माध्यम से कच्चे माल को भोजन के रूप में उपभोक्ताओं के उपयोग के लिए बदला जाता है | इस प्रिक्रिया में कीमा बनाना ,पकाना ,डिब्बा बंद ,पैकजिंग आदि शामिल है | इसे तीन चरणों में वर्गीकृत किया जा सकता है :
- पहला चरण : इसमें प्रसंस्करण इकाइयो या कारखानों द्वारा विभन्न भौतिक व रासायनिक परिवर्तन द्वारा सामग्री के पोषक स्तर को बदल दिया जाता है |
- दूसरा चरण : इसमें खाद्य वस्तुओ को डिब्बों ,कनस्तर या थैलो में पैक किया जाता है |
- तीसरे चरण : इसमें खाद्य वस्तुओ को उपभोक्ता तक पहुँचाया जाता है |
भारत के खाद्य बाजार का दुनियाँ में उत्पादन , खपत और निर्यात में 5वाँ स्थान तथा 70% बिक्री के साथ 6वां स्थान है | भारत सरकार खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ( MOFPI ) के मध्याम से खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास में योगदान देती है |
खाद्य प्रसंस्करण का महत्व ( SIGNIFICANCE OF FOOD PROCESSING ) :
- खाद्य प्रसंस्करण के माध्यम से खाद्य निरंतरता , संरक्षण , विपणन तथा वितरण में आसानी होती है और पुरे वर्ष खाद्य आपूर्ति बानी रहती है |
- खाद्य प्रसंस्करण के द्वारा जल्दी खराब होने वाली वस्तुओ दूर -दराज क्षेत्रों तक अच्छी गुणवत्ता के साथ पहुँचाया जा सकता है |
- खाद्य पदार्थो से होने वाली बीमारी को रोका जा सकता है |
- पोषक तत्वों की कमी को पूरा किया जा सकता है |
ऊपरी एवं निचे की अपेक्षाएं ( UPSTREAM AND DOWNSTREAM REQUIREMENT ) :
ऊपरी एवं निचे की अपेक्षाओं से तातपर्य उद्यमो द्वारा उत्पादन करने के लिए आवश्यक वस्तुओ तक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थो को पहुंचने में शामिल सभी कर्ताओ की भूमिका एवं वस्तुओ की उपलब्धता सुनिश्चित करने से है |
- ऊपरी अपेक्षाओ में किसान , बीजो के उत्पादक ,खाद ,कीटनाशक ,कृषि कार्यो के लिए मशीने व एजेंट आदि आते है |
- निचे की अपेक्षाओं में पैकजिंग ,थोक एवं खुदरा विक्रेता, परिवहन एवं संचार सुविधाए आती है |
खाद्य प्रसंस्करण के लाभ ( ADVANTAGE OF FOOD PROCESSING ):
- रोजगार के नए अवसर सृजित करना |
- किसानो की आय को दुगना करना |
- कृषि में विविधता को बढ़ावा देना |
- कुपोषण स्तर को कम करना |
- खाद्य वस्तुओ की महँगाई कम करना |
- ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी की ओर प्रवासन को नियंत्रित करना |
- निर्यात की आय को बढ़ावा देना |
- खाद्यान सुरक्षा सुनिश्चित करना |
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की चुनौतियां ( CHALLENGES OF FOOD INDUSTRY ) :
- इस उद्योग में अधिकतर मध्यम और लघु उद्यम व असंगठित क्षेत्र शामिल होते है | जिसके कारण इस क्षेत्र में निवेश की कमी बनी रहती है |
- केन्द्रीय तथा राज्यों की नीतियों में निरंतरता का आभाव |
- पैकेजिंग की उच्च लागत |
- रासायनिक उर्वको के अत्यधिक उपयोग और सघन खेती से खाद्य पदार्थो की पोषक गुणवत्ता में कमी आती है |
- साख तक पहुँच का अभाव |
- अपर्याप्त कोल्ड चैन बुनयादी ढांचे के कारण 30 प्रतिशत उत्पाद फार्म गेट पर नष्ट हो जाते है |
- बारहमासी सड़को और कनेक्टिविटी के कारण आपूर्ति अनियमित होती है |