वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में लिंगानुपात 943 है, जबकि 2001 में यह 933 था| पिछले दशक की तुलना में 10 अंको का सुधार हुआ है| भारत की साक्षरता दर 72.99 % है, जिसमे महिला साक्षरता दर का हिस्सा 64.64% है| महिला शक्ति सम्पनीकरण जितनी चुनौतियां है, सम्भावनाये भी उतनी ही ज्यादा है क्योकि पिछले सौ वर्षो और वर्तमान की महिलओ की स्थिति की तुलना करे तो कुछ सकारात्मक मुलभुत बदलाव जरूर आए है| इसका मुख्य कारण संवैधानिक उपबंध तथा सरकार द्वारा समय-समय पर बनाये जजने वाले कानून तथा कल्याणकारी योजनाए है|
संवैधानिक उपबंध :
- अनुछेद -14 : पुरुष एवं स्त्री को सामान अधिकार |
- अनुछेद -15 (1 ) : धर्म, जाति, लिंग, इत्यादि के आधार पर भेदभाव का निषेध|
- अनुछेद -15 (3 ) : राज्य को महिलाओ के रक्षोपाय विशेष उपबंध करने की छूट है, जिसे समानता के अधिकार के आधार पर प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है|
- अनुछेद -16 : लोक नियोजन में अवसर की समानता|
- अनुछेद -23 : मानवो का दुर्व्यापार और बलात श्रम का निषेध |
- अनुछेद -39(D ) : सामान कार्य के लिए सामान वेतन|
- अनुछेद -42 : कार्य की न्यायपूर्ण एवं मानवीय दशा|
- अनुछेद -51 (A ) E : महिलाओ की गरिमा का हनन करने वाली प्रथाओं की समाप्ति|
- अनुछेद -300 (A ) : महिलाओ को सम्पति का अधिकार |
- 73वां एवं 74 वां संशोधन : स्थानीय स्वशासन में कम से कम एक तिहाई सीटों का आरक्षण|
महिलाओ के लिए कानूनी प्रावधान ( LEGAL PROVISION FOR WOMEN ) :
- महिलाओ का यौन उत्पीड़न ( निवारण, निषेध,एवं निदान ) अधिनियम, 2013 — कार्यस्थल पर यौन उत्पीडन के लिए, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने ऑनलाइन शिकायतों के लिए SHE BOX पोर्टल की शरुवात की|
- घरेलू हिंसा संरक्षण अधिनियम 2005 —महिलाओ के साथ बदसलूकी, प्रताड़ना, मानसिक शोषण को गैर-जमानती एवं क्रिमिनल ऑफेन्स मानता है|
- बाल यौन शोषण -POCSO ( THE PROTECTION OF CHILDERN FROM SEXUAL ACT ) 2012 |
- देहज प्रतिबंधित अधिनियम 1961 |
- मातृत्व लाभ अधिनियम 2017
- महिलाओ के अभद्र चित्रण पर प्रतिबंध अधिनियम 1986
- भारतीय दंड संहिता की धारा 375 ( बलात्कार ), 372 ( वैश्यावर्ती के लिए लड़कियों की बिक्री ), 373 ( वैश्यावर्ती के लिए लड़कियों की खरीद )|
महिलाओ के द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियां ( CHALLENGES FACE BY WOMEN ) :
- लिंग चयनात्मक गर्भपात
- शिशु हत्या के प्रयास
- पितृसत्तात्मक भेदभाव
- कुपोषण की शिकार
- शिक्षा से वंचित
- मासिक धर्म स्वछता
- बाल विवहा
- किशोर गर्भावस्था
- महिलाओ के लिए कम मजदूरी
- असुरक्षित कार्यस्थल
- ऑनर किलिंग
- दहेज हत्या
- वैवाहिक बलात्कार
- घरेलू हिंसा
- मातृ मृत्यु
- यौन उत्पीड़न / छेड़छाड़
- बुजुर्ग महिला की उपेक्षा
महिलाओ को शिक्षित करना क्यों जरुरी है|
- अगर बालिका शिक्षित है तो एक अच्छी शृंखला प्रतिक्रिया शरू करती है, व विवाह की उम्र में देरी होती है| जिसके कारण कम तथा स्वस्थ बच्चे पैदा होते है |
- शिक्षित महिला रोजगार के माध्यम से परिवार को गरीबी से बहार निकालने में मदद करती है|
- 1968 के कोठरी आयोग ने शिक्षा को सामाजिक विकास के रूप में अनुशंसित किया है |
- महिला समाज के वंचित वर्ग का हिस्सा है, शिक्षा समाज में लैंगिक अंतर को कम करने में मदद करेगी |
- शिक्षा से न केवल महिलाओ को आर्थिक लाभ होगा, बल्कि देश की जीडीपी भी बढ़ेगी |
- शिक्षा महिलाओ में जागरूकता पैदा करेगी,जिससे राजनीती में भागेदारी बढ़ेगी जो अंततः लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करेगी |
- समाज का समावेशी विकास होगा |
- शिक्षा, नारी मुक्ति और सशक्तिकरण का सशक्त माध्यम है |